प्रेम

एक तिनके से संवाद

जो तुम्हें आज लग रहा प्रश्न है शायद कल न रहे समय के पास सबका उत्तर है।। अंधकार के पास ही प्रका…

रणविजय

रणविजय हो तुम   क्यों व्यर्थ में डरते हो   यह रण तुम्हारी रचना फिर क्यों नहीं चढ़ …

आवारा

एक तुम्हारे लिए ही   सारे जिद्द छोड़ आया हूँ   देख मेरी नज़रों में झाँककर   सारे ब…

प्रेम

प्रेम में पागल   बन बैठा हूँ   कुछ तो बात होगी   तुम में जो अलग है।।

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